नितीश कुमार फिर से मिलाये BJP से हाथ, फायदे और नुकसान।

नितीश कुमार और BJP:

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया है। एक बार फिर से बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए (NDA) में शामिल हो गए हैं. पिछले एक दशक में यह चौथा मौका है, जब नीतीश कुमार ने इस तरीके से पाला बदला है. इस बार लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) से ठीक पहले एनडीए में शामिल हुए हैं।

नितीश कुमार ने लोकसभा चुनाव से पहले यह फैसला यूं ही नहीं किया है। पिछले तीन लोकसभा चुनाव के आंकड़े पर नजर डालें तो पता लगता है कि नीतीश कुमार एनडीए में रहते हुए जब-जब लोकसभा चुनाव में उतरे हैं, तब-तब फायदे में रहे हैं।

2019 का लोकसभा चुनाव:

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार एनडीए में भाजपा, जदयू के अलावा लोक जनशक्ति पार्टी भी शामिल थी। राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से बीजेपी और जदयू दोनों 17-17 सीटों पर चुनाव लड़े थे, जबकि लोजपा के खाते में 6 सीटें गई थीं. इस गठबंधन ने 40 में से 39 सीटें अपने नाम की थी और 54.34% वोट शेयर हासिल किया था. इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी और लोजपा ने अपने खाते की सभी सीटें जीत ली थीं, जबकि जेडीयू एक सीट पर हारी थी.

उधर, दूसरी तरफ 2019 का लोकसभा चुनाव राजद की अगुवाई वाले विपक्षी गठबंधन के लिए बहुत बुरा साबित हुआ था। इस गठबंधन में राजद के अलावा कांग्रेस समेत तीन अन्य दल शामिल थे और इसके खाते में 31.23% वोट शेयर के बावजूद महज एक सीट आई थी. सबसे बुरी हालत तो लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी की हुई थी। 15.68 फ़ीसदी वोट शेयर के बावजूद पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.

2014 का लोकसभा चुनाव:

नितीश कुमार; 2014 के लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो तब मोदी लहर में जदयू (JDU) अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी और 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जिसमें से सिर्फ और 2 सीटें अपने नाम कर पाई और उसका वोट शेयर 16.04 फ़ीसदी था। 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार एनडीए में बीजेपी (BJP) और एलजेपी (LJP) के अलावा एक और क्षेत्रीय पार्टी शामिल थी और इसने कुल 31 सीटें अपने नाम की थी और 39.41% वोट शेयर हासिल किया था।

एनडीए (NDA) का कुल वोट शेयर जदयू केवोट शेयर से दोगुना था. वहीं दूसरी तरफ, 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार (Bihar) में राजद, कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन ने 7 सीटें जीती थीं।

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2009 का लोकसभा चुनाव:

नितीश कुमार: अब बात 2009 के लोकसभा चुनाव की करते हैं. इस चुनाव में जेडीयू, बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन में शामिल थी। तब इस गठबंधन ने 32 सीट जीती थी और 37.97 फीसदी वोट शेयर हासिल किया था। जदयू 25 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 20 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। जबकि बीजेपी (BJP) के खाते में 12 सीटें आई थीं।

नितीश कुमार: 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आई थी, लेकिन बिहार में उसका प्रदर्शन बहुत खराब रहा था और जिन 37 सीटों पर चुनाव लड़ी थी उसमें से सिर्फ दो जीत पाई थी। उसका वोट शेयर 10.26% था। उस साल राजद और लोजपा के गठबंधन ने चार सीटें अपने नाम की थीं।

इंटरनल सर्वे क्या कह रहा था?

नितीश कुमार: 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने के पीछे एक इंटरनल सर्वे भी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक लोकसभा चुनाव से पहले लोगों का मूड भांपने के लिए पार्टी ने एक आंतरिक सर्वे करवाया, जिसके नतीजे पार्टी के पक्ष में नहीं थे। इस सर्वे के बाद जदयू सांसदों के एक ग्रुप ने पार्टी पर फिर एनडीए से गठबंधन का दबाव बनाना शुरू किया। 2019 में इन सांसदों को एनडीए गठबंधन के समीकरण के चलते जीत मिली थी।

नितीश कुमार: सर्वे के नतीजे और अपने सांसदों के दबाव के बाद नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को लगा कि अगर उनकी पार्टी नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए बैनर से चुनाव लड़ती है तो अच्छे नतीजे हो सकते हैं। इसके बाद उन्होंने महागठबंधन से अलग होने का मन बना लिया।

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